Thursday, January 27, 2011

ये इसी शहर में रहते हैं घुमते घुमते जब मैं इनके यहाँ पहुंचा -

यह हैं
से.रा.यात्री
प्रसिद्ध साहित्यकार जिनको सारा देश जानता है एक महान कथाकार के रूप में और इनको अभी हिंदी संस्थान ने 'महात्मा गाँधी साहित्य पुरष्कार से नवाज़ा है'

जन्म-१० जुलाई १९३२ , मुज्ज़फ्फर नगर,उत्तर प्रदेश
शिक्षा- एम्.ए.-हिंदी-१९५५,राजनीती शास्त्र-१९५७, (आगरा विश्वविद्यालय)
व्यवसाय - शिक्षण,एन.आर.सी.खुर्जा बुलंदशहर , नरसिंहपुर, मध्यप्रदेश , गाजियाबाद

अनुक्रम

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रचनाएँ

कथा-संग्रह-
दूसरे चेहरे-१९७१,अलग-अलग अस्वीकार (१९७३), काल विदूषक-१९७६, धरातल-१९७७, केवल पिता-१९७८, सिलशिला-१९७९, अकर्मक क्रिया (१९८१), टापू पर अकेले (१९८३), खंडित-संवाद-१९८५,२००९, नया सम्बन्ध -१९८७, भूख तथा अन्य कहानिया-१९९३, अभयदान १९९४, पुल टूटते हुए -१९९४, चर्चित कहानियां (१९९४) ख़ारिज और बे दखल-१९९८, विरोधी स्वर-२०००,२१ पुरस्कृत कहानियां-२००१, परजीवी-२००२
उपन्यास
दराजों मे दस्तावेज-१९७०,१९८२,२००५, लौटते हुए-१९७४, चांदनी के आर पर -१९७८, बीच की दरार -१९७८, कई अंधेरों के पर-१९८१, टूटते दायरे-१९८३, चादर के बहार-१९८३,प्यासी नदी-१९८३, भटका मेघ-१९८४ , आकाशचारी-१९८५, आत्मदाह-१९८५, बावजूद-१९८६, अंतहीन-१९८७, प्रथम परिचय-१९८७, जली रस्सी-१९८७, युद्ध अविराम-१९८७, द्ल्षा हरा-१९८७, अपरचित शेष-१९८८, बेदखल अतीत-१९९३, आखिरी पराव-१९९३, सुबह की तलाश-१९९४, मुक्ति मार्ग-१९९४, घर न घाट-१९९६, एक जिंदगी और-१९९६, घटना सूत्र-१९९९, बैरंग खत-२०००, अनदेखे पुल-२००१, कलंदर-२००१, टापू पर अकेले-२००१, छलावा-२००२, यातना शिविर-२००७
व्यंग संग्रह-
किस्सा एक खरगोश का-१९८५, दुनिया मेरे आगे-२०००
संस्मरण-
लौटना एक वाकिफ उम्र का-१९९८
सम्पादित-
विस्थापित-१९८१, रंग एवं रेखाएं
संपादन-
वर्तमान साहित्य-१९८७-२००३


पुरुस्कार एवं सम्मान

उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान - १९७९, १९८०, १९८३, १९९७,२००१, २००६ (साहित्य भूषण रु.१०००००)

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